
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम और बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी जमीन या मकान पर लंबे समय तक कब्जा करके बैठना, यानी अवैध कब्जा, उस संपत्ति का मालिकाना हक हासिल करने का आधार नहीं बन सकता। कोर्ट ने कहा कि असली मालिक वही होगा जिसकी संपत्ति की रजिस्ट्री वैध और पंजीकृत हो।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?
सर्वोच्च न्यायालय ने साफ किया है कि कोई व्यक्ति अगर किसी मकान या जमीन पर 12 साल से कब्जा कर भी बैठा है, लेकिन उसकी रजिस्ट्री नहीं है, तो वह कानूनी मालिक नहीं माना जाएगा। रजिस्ट्री के बिना कब्जा सिर्फ अनाधिकृत अधिपत्य माना जाएगा। 1882 के ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत, अचल संपत्ति की कानूनी बिक्री तभी मान्य मानी जाएगी जब उसकी रजिस्ट्री वैध हो। जब तक पंजीकृत सेल डीड उपलब्ध नहीं हो, संपत्ति का वैध मालिकाना हक नहीं बदलेगा।
अवैध कब्जा और कानून की सीमा
देश में ‘प्रतिकूल कब्जा’ (Adverse Possession) के नाम से ऐसा प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर लगातार 12 साल तक शांति से और बिना मालिक की आपत्ति के कब्जा करता रहे तो उसे मालिकाना हक मिल सकता है। पर सुप्रीम कोर्ट ने इस नियम पर भी सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि कब्जाधारी को मालिकाना हक तभी मिलेगा जब वह सभी शर्तें पूरी करे, जैसे कब्जा खुला, लगातार, शांति से और मालिक के विरुद्ध होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की देखरेख नहीं करता और कब्जाधारी पर कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो संपत्ति खोने का खतरा रहता है।
रजिस्ट्री का महत्व और बिचौलियों को झटका
इस फैसले ने प्रॉपर्टी डीलरों और बिचौलियों को बड़ा झटका दिया है क्योंकि अब सिर्फ कब्जा या पॉवर ऑफ अटॉर्नी जैसे कागजों से मालिकाना हक साबित नहीं होगा। असली मालिक वही होगा जिसने संपत्ति की वैध, पंजीकृत रजिस्ट्री करवाई हो। यह फैसला प्रॉपर्टी खरीदते समय रजिस्ट्री कराने की जरूरत को मजबूती से रेखांकित करता है।
आम लोगों के लिए संदेश
यह फैसला आम लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है कि यदि वे संपत्ति खरीद रहे हैं तो उसकी रजिस्ट्री अवश्य कराएं। कब्जा मात्र से सुरक्षित प्रॉपर्टी का मालिकाना हक नहीं मिलता और बिना रजिस्ट्री के कानूनी पेचिदगियों से बचना मुश्किल होगा। साथ ही, संपत्ति पर अवैध कब्जे को लेकर तुरंत कानूनी कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि भविष्य में विवाद से बचा जा सके।
इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने कानून के माध्यम से प्रॉपर्टी विवादों को रोकने और असली मालिक की रक्षा करने का प्रयास किया है। अब कोई भी व्यक्ति बिना वैध दस्तावेज़ों के लंबे कब्जे का दावा नहीं कर सकता और संपत्ति का असली मालिक वही माना जाएगा जिसने उसे विधिवत दर्ज कराया हो। यह फैसला प्रॉपर्टी संबंधित धोखाधड़ी और गलतफहमियों को कम करेगा और लोगों को सुरक्षित करने में मददगार साबित होगा।
यह निर्णय संपत्ति बाजार को पारदर्शी और मजबूत बनाएगा, और निवेशकों को ऐसे विवादों से सुरक्षित रखेगा जो कब्जा के विवादों से उत्पन्न होते थे। इसलिए संपत्ति खरीदने वाले या मालिक जिन लोगों के लिए यह फैसला प्रकाशस्तंभ की तरह है, उन्हें रजिस्ट्री कराने और कब्जे के मामलों में सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
















