हरियाणा सरकार ने पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा छह वर्ष कर दी है। इसके तहत अब केवल वही बच्चे ही पहली कक्षा में प्रवेश के पात्र होंगे जिनकी उम्र 1 अप्रैल 2025 तक छह साल पूरी हो जाएगी। यदि बच्चे की उम्र कम है, तो उसे छह माह की छूट दी जाएगी, यानी 30 सितंबर 2025 तक 6 साल का हो जाना जरूरी है। इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए स्कूल शिक्षा निदेशालय ने दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

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वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में क्या है व्यवस्था?
2024-25 में सरकार ने पांच साल छह महीने उम्र वाले बच्चों को पहली कक्षा में दाखिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन अब आगामी सत्र 2025-26 से यह सीमा बढ़ाकर छह वर्ष कर दी गई है। इसका मकसद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का पालन और बच्चों की बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करना है। जिन बच्चों ने पूर्व-प्राथमिक कक्षा पूरी कर ली है और 1 अप्रैल तक वे छह वर्ष की आयु पूरी नहीं कर सके हैं, उन्हें भी इस नए नियम के तहत सम्मानित किया जाएगा, और उन्हें पूरे शैक्षणिक वर्ष में पीछे नहीं रखा जाएगा।
किन बच्चों को मिलेगा लाभ?
छात्रावास में छह साल की उम्र पूरी न होने वाली आयु सीमा की छूट का लाभ उन बच्चों को मिलेगा, जो 1 अप्रैल 2025 तक छह साल के नहीं हैं। यदि उनके जन्म की तारीख 1 अप्रैल 2019 से पहले है और उनकी उम्र 1 अप्रैल 2025 को छह साल पूरी हो जाएगी, तो वे भी इस सत्र में पहली कक्षा में प्रवेश के पात्र होंगे।
नए नियम का पालन क्यों जरूरी है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम आयु छह वर्ष ही तय की गई है। इस नए नियम का उद्देश्य बच्चों के सही समय पर शिक्षा शुरू कराना और मानकों का पालन सुनिश्चित करना है। इससे न केवल शिक्षा का मानदंड ऊंचा होगा, बल्कि बच्चों के शैक्षणिक वर्ष का भी सही ढंग से संरेखण होगा।
















