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Dairy Business Success Story: ₹11,000 से शुरू किया डेयरी कारोबार, अब करोड़ों की मालकिन बनीं यह महिला

झारखंड की शिल्पी सिन्हा ने सिर्फ 11,000 रुपये से मिल्क इंडिया कंपनी की शुरुआत करके करोड़ों का डेयरी बिजनेस खड़ा किया। शुद्ध दूध की जरूरत समझकर उन्होंने पुरुष-प्रधान क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। आज उनकी कंपनी लाखों परिवारों तक क्वालिटी दूध पहुंचा रही है और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

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success story shilpi sinha who started milk india company with 11 thousand rupees

कई लोग बिजनेस शुरू करने का सपना देखते हैं, लेकिन सिर्फ कुछ ही लोग हकीकत में कदम बढ़ा पाते हैं। झारखंड की रहने वाली शिल्पी सिन्हा ने वह किया जिसे करने की सोच भी कम लोग रखते हैं। उन्होंने डेयरी इंडस्ट्री जैसे पुरुष-प्रधान क्षेत्र में न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि एक ऐसा ब्रांड खड़ा किया जो अब लाखों परिवारों के घर तक शुद्ध दूध पहुंचा रहा है।

शुरुआत एक परेशानी से हुई

बेंगलुरु में पढ़ाई कर रहीं शिल्पी सिन्हा को रोजमर्रा की जिंदगी में एक बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ा – बिना मिलावट वाला दूध। उन्होंने कई बार अलग-अलग सप्लायर्स और ब्रांड्स के दूध ट्राय किए, लेकिन शुद्धता की गारंटी कहीं नहीं मिली। इसी ने उनके मन में एक विचार जगाया – अगर अच्छी क्वालिटी का दूध मिलना इतना मुश्किल है, तो क्यों न खुद ही यह व्यवस्था बनाई जाए।

एक आइडिया जिसने बदली दिशा

शिल्पी ने इस विचार को बिजनेस आइडिया में बदलने का फैसला किया। लेकिन उससे पहले उन्होंने मार्केट रिसर्च की। रिसर्च में चौंकाने वाली बातें सामने आईं – कई पैक्ड मिल्क ब्रांड्स में मिलावट की समस्या थी। लोग लागत घटाने के लिए दूध में डिटर्जेंट, पेंट और अन्य रसायन तक मिला देते थे। यह जानकर शिल्पी को यकीन हो गया कि शुद्ध दूध की मांग तो है, लेकिन भरोसेमंद सप्लाई की भारी कमी है।

शुरू हुआ गांवों का सफर

2017 में शिल्पी ने 21 गांवों का दौरा किया ताकि समझ सकें कि बेहतर क्वालिटी का दूध देने के लिए क्या जरूरी है। उन्होंने स्थानीय किसानों से बातचीत की, उनके डेयरी के तरीके सीखे और दूध की सप्लाई चैन को करीब से समझा। धीरे-धीरे उन्होंने किसानों को अपने मिशन से जोड़ा और उन्हें सिखाया कि कैसे पोषणयुक्त चारा और स्वच्छ वातावरण से हाई-क्वालिटी दूध तैयार किया जा सकता है।

मुश्किलें आईं पर हिम्मत नहीं टूटी

बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहर में बिजनेस शुरू करना आसान नहीं था। सबसे बड़ी चुनौती थी स्थानीय भाषा – शिल्पी को न तो कन्नड़ आती थी और न ही तेलुगु। काम करने के लिए अनुभवी लोग भी नहीं मिल रहे थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी टीम बनाई, किसानों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम किया और अपने डेयरी मॉडल को आगे बढ़ाया।

जन्म हुआ ‘Milk India Company’ का

लंबे रिसर्च और तैयारियों के बाद साल 2018 में उन्होंने ‘मिल्क इंडिया कंपनी’ की नींव रखी। उन्होंने सरजापुर (बेंगलुरु) से यह बिजनेस सिर्फ 11,000 रुपये के फंड से शुरू किया। शुरुआत में उनका फोकस केवल क्वालिटी पर रहा। कंपनी ने गायों के खाने, पानी की स्वच्छता और डिलीवरी प्रोसेस में कोई समझौता नहीं किया। यही कारण था कि धीरे-धीरे लोगों का भरोसा बढ़ता गया।

बच्चों पर विशेष फोकस

मिल्क इंडिया कंपनी मुख्य रूप से एक से नौ साल तक के बच्चों के लिए दूध की सप्लाई करती है। ऑर्डर लेना भी आधुनिक है – कंपनी व्हाट्सएप के माध्यम से ऑर्डर लेती है। दूध देने से पहले बच्चे की उम्र पूछी जाती है और अगर बच्चा एक साल से कम उम्र का है, तो ऑर्डर कैंसिल कर दिया जाता है। यह बात कंपनी की जिम्मेदारी और ग्राहक-केंद्रित सोच को दर्शाती है।

बन गई करोड़ों की कंपनी

सिर्फ 11,000 रुपये से शुरू हुई यह कंपनी आज करोड़ों रुपये का टर्नओवर कर रही है। शिल्पी ने तय किया कि वे सिर्फ दूध ही बेचेंगी, अन्य प्रोडक्ट्स नहीं बनाएंगी ताकि क्वालिटी से कोई समझौता न हो। आज उनके ब्रांड को न केवल बेंगलुरु में, बल्कि आस-पास के शहरों में भी पहचान मिली है।

लाखों के लिए प्रेरणा

शिल्पी सिन्हा की सफलता इस बात का सबूत है कि बिजनेस में जेंडर या शुरुआती कैपिटल मायने नहीं रखते। मायने रखती है आइडिया की सच्चाई और मेहनत की दिशा। एक महिला ने डेयरी के पुरुष-प्रधान क्षेत्र में अपनी जगह बनाई और यह दिखाया कि जुनून से बड़ा कोई फंड नहीं होता।

Author
Pankaj Yadav

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