किसान साथियो, खेती हमेशा से परिश्रम और लगन का प्रतीक रही है। पहले जहां खेतों में हर काम हाथ से करना पड़ता था, वहीं अब तकनीक इस मेहनत को आसान बना रही है। जैसे-जैसे विज्ञान और कृषि तकनीकें आगे बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे खेती के पुराने तरीकों की जगह आधुनिक साधन ले रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने किसानों, खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए एक बेहतरीन कदम उठाया है — नमो ड्रोन दीदी योजना।
यह योजना खेती में ड्रोन तकनीक को लाकर न सिर्फ उत्पादन बढ़ाने में सहायक है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही है।

Table of Contents
क्या है ड्रोन तकनीक और इसका फायदा
ड्रोन एक उन्नत मशीन है जो बिना सीधे मानवीय संचालन के हवा में उड़कर कार्य कर सकती है। खेती में इसका इस्तेमाल बीज बोने, स्प्रे करने, खाद और कीटनाशकों के छिड़काव, फसल की निगरानी और जल प्रबंधन जैसे कार्यों में किया जाता है।
ड्रोन के उपयोग से किसान एक ही जगह बैठकर कई एकड़ खेतों की निगरानी कर सकते हैं। इससे समय, श्रम और लागत — तीनों की बचत होती है।
महिलाओं के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना
यह योजना खास तौर पर महिलाओं के स्वयंसहायता समूहों (SHG) के लिए बनाई गई है। इसका लक्ष्य है कि ग्रामीण महिलाएं कृषि में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सीखें और इससे अपनी आजीविका बढ़ाएं।
इस योजना के तहत सरकार ड्रोन खरीदने में 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान कर रही है। अधिकतम 8 लाख रुपये तक की यह सहायता महिलाओं को दी जा रही है, जिससे वे खुद ड्रोन संचालित कर सकें या किराए पर अन्य किसानों को सेवा दे सकें।
क्या-क्या मिलता है किट में
सरकार की ओर से मिलने वाली ड्रोन किट केवल एक ड्रोन तक सीमित नहीं होती। किसानों को इसके साथ पूरी तकनीकी सहायता सामग्री भी दी जाती है, जिसमें शामिल हैं—
- एक बेसिक कृषि ड्रोन
- स्प्रे उपकरण
- बैटरी सेट और फास्ट चार्जर
- मृदा पीएच मीटर
- एनीमोमीटर (हवा की गति और दिशा मापने वाला उपकरण)
इन उपकरणों से किसान या महिला पायलट फसल की जरूरत के अनुसार कीटनाशक या उर्वरक का सटीक छिड़काव कर सकती हैं। सरकार इन सभी उपकरणों पर 1 साल की वारंटी भी देती है, ताकि किसी भी खराबी पर तुरंत सेवा मिल सके।
ड्रोन चलाने के लिए प्रशिक्षण
बिना सही प्रशिक्षण के ड्रोन चलाना संभव नहीं है। इसलिए योजना के अंतर्गत महिलाओं को 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है।
इस प्रशिक्षण में दो तरह की ट्रेनिंग शामिल होती हैं—
- ड्रोन पायलट प्रशिक्षण, जिसमें ड्रोन उड़ाने, नियंत्रण और फसल छिड़काव के तरीके सिखाए जाते हैं।
- ड्रोन असिस्टेंट प्रशिक्षण, जिसमें अन्य सदस्य ड्रोन संचालन में तकनीकी सहयोग करना सीखते हैं।
इससे महिला किसान अपने समूह में सामूहिक रूप से काम कर सकती हैं और एक-दूसरे का सहयोग करते हुए कृषि दक्षता बढ़ा सकती हैं।
यह भी देखें- Bhagya Laxmi Yojana 2025: बेटी के जन्म पर सरकार देगी ₹55,000 की आर्थिक मदद, तुरंत करें आवेदन और जानें प्रक्रिया
योजना में आवेदन प्रक्रिया
इस योजना में पंजीकरण बेहद आसान है। महिला किसान या उनका स्वयंसहायता समूह अपने दस्तावेज़ तैयार रखे —
- आधार कार्ड और फोटो पहचान प्रमाण
- बैंक खाता विवरण
- भूमि या फसल से संबंधित दस्तावेज़
- समूह पंजीकरण प्रमाणपत्र
- पासपोर्ट आकार की फोटो
- यदि संभव हो तो कृषि अनुभव प्रमाणपत्र
इन सभी दस्तावेज़ों को राज्य के कृषि विभाग या संबंधित पोर्टल पर जमा करना होता है। जांच के बाद लाभार्थी महिला को ड्रोन किट और प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की जाती है।
कैसे बदलेगी ग्रामीण भारत की तस्वीर
इस योजना से एक ओर जहां खेती आसान होगी, वहीं दूसरी ओर महिलाएं तकनीकी रूप से सशक्त बनेंगी। अब वे केवल खेत में काम करने तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि ड्रोन पायलट बनकर सेवाएं प्रदान करके अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकती हैं।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में ड्रोन तकनीक किसानों की उत्पादकता को 20–25 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
















